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अनुशरणकर्ता

7 Jul 2010

ये चमन नहीं गुलदस्ता है

ये चमन नहीं गुलदस्ता है
हैं सारे फूल ये कागज के न खुशबू से कोई रिश्ता है
हर चीज यहाँ पर महंगी है इंसान यहाँ पर सस्ता है
ये चमन नहीं गुलदस्ता है
हम प्रेम की भाषा बिन जाने कितनी भाषाएँ पढ़ते हैं
निज स्वारथ की आश लिए, फिर आपस में सब लड़ते हैं
शोलों से भरी निगाहों से नफरत का जहर बरसता है
ये चमन नहीं गुलदस्ता है
चिथड़ों में लिपटी हुई खड़ी निचले समाज की रेखा है
जो मखमल का भंडार लिए, न उसने अब तक देखा है
निर्बल कुछ अंतिम सांसों में जीने के लिए तरसता है
ये चमन नहीं गुलदस्ता है

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