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अनुशरणकर्ता

9 Jul 2010

सवाल

हे पुष्प तेरी कलियाँ मुझको क्यों अपने पास बुलाती हैं
हे हवा तेरी मदहोशी मेरे मन पर क्यों छा जाती है
हे तारों इतनी दूर खड़े क्यों एकटक मुझे निहार रहे
क्या अपने पास बुलाने को तुम अब तक खड़े पुकार रहे
हे सूरज दिन भर दर्शक बन तुम मेरे साथ बिचरते हो
सब कुछ देख रहे ऊपर से पर न्याय नहीं तुम करते हो
हे चाँद सही से तुम अपना क्यों काम नहीं कर पाते हो
कुछ दिन अपनी चमक दिखाकर जाने कहाँ छिप जाते हो
हे धरा बताओ क्यों लोगों के हर तांडव को सहती हो
सबका बोझ उठाकर भी तुम कभी नहीं कुछ कहती हो

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