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अनुशरणकर्ता

20 Jul 2010

मिले जब भी फुरसत ........

मिले जब भी फुरसत तुम्हे दूसरों से, तो करना कभी याद, आना कभी 
झुकाके के निहाहें बस दो चार आंसू ,मेरी याद में भी बहाना कभी 
मिले जब भी फुरसत .......
वो चेहरा गुलाबी, अदाएं खिताबी, निगाहें कटीली वो ऑंखें शराबी 
है वर्षों से प्यासी जो मेरी तमन्ना, तू छलकाके के इक घुट पिलाना कभी । 
मिले जब भी फुरसत ........
अंधेरों में यूँ खो गयी मेरी राहें, जरा से उजाले को तरसी निगाहें 
चिराग अपनी आँखों में ख्वाबों के  लेकर जलाना  कभी, बुझाना कभी 
मिले जब भी फुरसत ..........
मिला क्या हमें एक फरियाद करके बने याद खुद हम तुम्हे याद करके
यादों की मेरी, इक तस्वीर दिल में बनाना कभी , मिटाना कभी 
मिले जब भी फुरसत .............. 

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