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अनुशरणकर्ता

9 Feb 2011

शायद मै जिन्दा हूँ

शायद मै जिन्दा हूँ ।

धड़कन भी धक् धक् दौड़ रही, 

नज़रें भी टुक टुक देख रहीं, पर जाने क्यों शर्मिंदा हूँ ।---               शायद मै जिन्दा हूँ ।

इक लूटे दूजा लुट जाए, 

चला गया मै नज़र झुकाए

मेरा  क्या गैरों से मतलब, मै तो एक परिंदा हूँ ।----शायद मै जिन्दा हूँ ।

अपने काम में शर्म जताई, 

किया नौकरी सदा पराई

निज स्तर की आस लिए, मै शहरों का बाशिंदा हूँ ।----शायद मै जिन्दा हूँ ।

शब्दों में गिटपिट अंग्रेजी, 

भूल गया हूँ भाषा देशी

अपनों का बन गया खुदा गैरों के लिए दरिंदा हूँ ।---- शायद मै जिन्दा हूँ ।