शायद मै जिन्दा हूँ ।
धड़कन भी धक् धक् दौड़ रही,
नज़रें भी टुक टुक देख रहीं, पर जाने क्यों शर्मिंदा हूँ ।--- शायद मै जिन्दा हूँ ।
इक लूटे दूजा लुट जाए,
चला गया मै नज़र झुकाए
मेरा क्या गैरों से मतलब, मै तो एक परिंदा हूँ ।----शायद मै जिन्दा हूँ ।
अपने काम में शर्म जताई,
किया नौकरी सदा पराई
निज स्तर की आस लिए, मै शहरों का बाशिंदा हूँ ।----शायद मै जिन्दा हूँ ।
शब्दों में गिटपिट अंग्रेजी,
भूल गया हूँ भाषा देशी
अपनों का बन गया खुदा गैरों के लिए दरिंदा हूँ ।---- शायद मै जिन्दा हूँ ।
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