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अनुशरणकर्ता

26 Aug 2010

वक़्त का पहिया

वो रात न रही, बरसात न रही 
सब कुछ बदल गया वो बात न रही
वक़्त यूँ गुजरा कि सब देखते रहे 
जो सूरमा थे उनकी कुछ बिसात न रही
बेवफाई किसने की शायद नहीं पता 
पर उनकी हमारी वो मुलाकात न रही 
चुपचाप खड़ी मौत का जब छाया अँधेरा 
जीवन के उजाले की कुछ औकात न रही 
सब लौट गए अपने घर मुझको विदा करके 
फिर उसके बाद वो कभी बारात न रही 

20 Aug 2010

नसीहत

बयां किससे करूं मै दर्दे दिल, बेरहम दुनिया में 
किसी से दर्द मिलता है , तो कोई बेदर्द मिलता है।
अमीरी वतन पर छाई, भूख से मर रहे फिर क्यों 
कि जिसके पास हो दौलत उसी को कर्ज मिलता है। 
मिटाने जो चले हैं इस जहाँ से भेद मजहब का 
उनसे बस जाति के ही नाम पर कुछ फर्ज मिलता है। 
नसीहत याद आती है, वफादारी की तब एच डी
जब हमें गुमराह करने को कोई खुदगर्ज मिलता है ।
हकीकत को बिना समझे बड़े बेकदर बन बैठे 
सदियाँ गुजरने पर कोई हमदर्द मिलता है ।

14 Aug 2010

Even Then

Every Try to get success, you have done.
But there was still a fun.
If now, further possibilities are non.
Even then, You have to win.