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अनुशरणकर्ता

20 Aug 2010

नसीहत

बयां किससे करूं मै दर्दे दिल, बेरहम दुनिया में 
किसी से दर्द मिलता है , तो कोई बेदर्द मिलता है।
अमीरी वतन पर छाई, भूख से मर रहे फिर क्यों 
कि जिसके पास हो दौलत उसी को कर्ज मिलता है। 
मिटाने जो चले हैं इस जहाँ से भेद मजहब का 
उनसे बस जाति के ही नाम पर कुछ फर्ज मिलता है। 
नसीहत याद आती है, वफादारी की तब एच डी
जब हमें गुमराह करने को कोई खुदगर्ज मिलता है ।
हकीकत को बिना समझे बड़े बेकदर बन बैठे 
सदियाँ गुजरने पर कोई हमदर्द मिलता है ।

2 comments:

  1. laajwaab hain aap aur aapki shayari

    yours blog is very good...
    keep it up

    come to my blog
    http://mydunali.blogspot.com/

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  2. बहुत अच्छी सोच है धन्यवाद्|

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