- मै चार लोगों से बहुत जादा परेशान हूँ
- मैंने अपनी पढाई लिखाई, अपना करियर सब इसलिए बनाया की चार लोगों के बीच मेरी इज्जत बनी रहे
- एक बार मै दिल्ली जा रहा था तो मेरे पिता जी ने कहा बेटा संभल कर जाना चार लोगों के बीच तुम्हे जाना है
- मै अपने दोस्त के साथ एक पार्क घूम कर लौट रहा था तो दोस्त बोला अगले संडे फिर आयेंगे, मैंने पूंछा क्यों , उसने कहा यहाँ चार लोगों से मुलाकात होती है अच्छा लगता है
- मै परेसान होकर अपने एक दोस्त सरदार जगजीत सिंह के पास गया और बोला, पाजी ये चार लोग मेरा पीछा कब छोड़ेंगे,
- सरदार जी ने कहा, जिस दिन वही चार लोग आपको को शमसान में छोड़ेंगे उस दिन वो आपका पीछा छोड़ देंगे
29 Oct 2010
वो चार आदमी
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