हम अपने वतन के जितने भी, नेता बेकार बदल देंगे
मिल जाए गर साथ आपका तो संसार बदल देंगे
नैतिकता कमजोर हुई और सदाचार भी कहीं सो गया
इस नेटवर्किंग की दुनिया में, बिकता प्यार बदल देंगे
कोई भूखा सोता है तो कोई बोतल में जीता है
हम सब मिलकर जनसँख्या का बढ़ता आकर बदल देंगे
दौलत वालों का मान बढ़ा पर सद्ज्ञानी का मोल नहीं
हम अपने वतन की शिक्षा का बढ़ता ब्यापार बदल देंगे
धर्म और भाषा पर अपनी राजनीति क्यों सेंक रहे,
भाषा और मजहब से बनती हर दीवार बदल देंगे
आओ मिलकर करें ये वादा हर कर्त्तव्य निभाएंगे
जो गैरों का करे अन्भला वो अधिकार बदल देंगे
सारी दौलत अपनों को देकर घुट घुट कर जो जीते हैं
सारे बड़े बुजुर्गों का, घटता आदर सत्कार बदल देंगे
मिल जाए गर साथ आपका ....तो संसार बदल देंगे
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