Pages

अनुशरणकर्ता

8 Apr 2012

गरीब की कीमत

कैसे सिफर से शुन्य फिर जीरो बना दिया

वक्त ने नचनियों को हीरो बना दिया

जो कल तक कटोरा लेकर सिक्का नोट मांगते थे

वो आज कार में आकर हमसे वोट मांगते हैं

नेता अगर गरीब मिल जाये तो ये सबसे बड़ी खोज होगी

मगर शायद इनकी कमाई 28 रुपये रोज होगी

शायद इसीलिए ये बड़े काफिले में चलते हैं

और अपनी गाड़ियाँ रोज ये बदलते हैं

मैं इन सब बातों को बड़ी देर तक सोचता रहा

फिर बीच बीच में अपने बालों को नोचता रहा

किसी दिन मैं भी ऐसी नौकरी पा जाऊंगा

जिसमे मैं २८ रूपये रोज कमाऊंगा

और सरकार की नज़रों में अमीर बन जाऊंगा

पर क्या मैं इससे अपने बच्चों का पेट भर पाउँगा ?

ये सब बातें सोंचकर मै हैरान हो गया


कहाँ मिलेगी ऐसी नौकरी परेशान हो गया

फिर मन में एक नया आइडिया आया

जिसने मेरा टेंसन दूर भगाया

एक दिन रोजगार कार्यालय में जाकर

अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर

सरकार की योजना (बेरोजगारी भत्ते)  का लाभ उठाऊंगा

जिससे मै २८ रूपये की जगह ३३ रूपये रोज मुफ्त में पाउँगा

लेकिन जब मैंने योजना की शर्तों पर नज़र घुमाया

तो मैंने अपने आप को असहाय पाया

मेरा नाम BPL की सूची में नहीं था

इसका मतलब पहले वाला आइडिया सही था

मगर एक सवाल मेरे मन में रहा था

जो भविष्य में आने वाली समस्याओं के बारे में दर्शा रहा था

क्या खैरात बांटने से महंगाई और गरीबी मिट जायेगी ?


और इस बन्दर बाँट में जरूरतमंद तक पहुँच पायेगी ?


अगर देना है तो हर किसी को काम दीजिये

मेहनतकशों के फन को कोई नाम दीजिये

सख्ती से सारे मुल्क को पैगाम दीजिये

बढती हुई जनसँख्या को लगाम दीजिये

कहने को बहुत कुछ है, मगर छोडो हवलदार


चलती हुई कलम को कुछ आराम दीजिये




No comments:

Post a Comment