काश मै अनपढ़ होता .....
रात को अपने बिस्तर पर , मै खुल्ले मुह सोता,
जो मिलता रुखा सुखा बस उसमे खुश होता,
अपने डिग्री डिप्लोमा का यूँ दिल पर बोझ न ढोता
कर लेता कोई भी काम और खुद पर शर्म न करता
शिक्षा पर जो खर्च किया, उससे बिजनेश कर लेता,
पैसा होता पास मेरे , सामाजिक अस्तित्व न खोता
घूस खिलाकर अधिकारी को, सरकारी नौकर हो जाता,
बिन पैसे की ये मेरी सारी डिग्री बेकार है,
ऐसे एंट्री नहीं मिलेगी, ये यू पी की सरकार है,
कह एच डी कविराय, जल्द ही एक दिन ऐसा आएगा,
पी एच डी, करने के बाद कोई चपरासी बन पायेगा,
न होता इन सब का एहसास, न दुनिया के गम पर रोता ,
काश मैं अनपढ़ होता.........
No comments:
Post a Comment