कल्पना में सच दिखाने की छवि हूँ
मन तो उजला है मगर काला बदन है
हर बुराई जीत लेने की लगन है
वैसे तो अंधेरो में भटकता रवि हूँ .. मै कवि हूँ !
महज कुछ शब्दों का श्रृंगार लेकर
समर में बस इक कलम, हथियार लेकर
जाने क्यों दुनिया के गम पर मै दुखी हूँ .. मै कवि हूँ !
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