कोई जाकर चाँद से कह दे, मेरे आँगन भी आ जाए
संग में अपने दो छोटे से, तारों को भी ले आये
जब पुरवाई चलती है, मन में एक आहट होती है
किसी की यादों में ले जाकर पलकें नम कर देती है
अपना किसे कहें इस जग में आकर मुझे बता जाये
कोई जाकर चाँद से कह दे, ................................
सावन की अँधेरी रातों में दिल बोझिल सा हो जाता है
अपने अधरों पर सिसक लिए तूफां का झोंका आता है
इन गम की अँधेरी राहों में, खुशियों का दीप जला जाए
कोई जाकर चाँद से कह दे, ................................
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