वो खुशनुमा किस्से बहुत ग़मगीन हो गए
हम स्वीट थे पहले की अब नमकीन हो गए
मुझको बदल दिया फिर बोली पहले जैसे नहीं रहे
मैंने कहा कभी मत कहना पहले थे अब नहीं रहे
पहले नज़रों में बसते थे अब आँखों में चुभ जाते हैं
पहले खाते पीते घर के अब पेटू कहलाते हैं
देखा नज़ारा दोस्त सभी मुझपर हसते इठलाते है
पहले तीरंदाज बड़े अब चिड़ीमार कहलाते है
कह एच डी कविराय जगत की यही रीति है
पास रहे तो नफरत दूर से बड़ी प्रीति है
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